वाराणसी 06 फरवरी संवददाता :- महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ स्थित भारत माता मंदिर संरक्षण के अभाव में दिनोंदिन जर्जर होता जा रहा है। मंदिर में मौजूद हड़प्पा सभ्यता से पूर्व की दुर्लभ लिपियां अब मिटने लगी हैं। वहीं अखंड भारत का नक्शा भी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। मंदिर में सैलानियों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन यहां सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं। भारत माता मंदिर के केयर टेकर राजेश बताते हैं कि यह मंदिर आजादी से पहले का है। श्री शिवप्रसाद गुप्त ने 1918 में इसका निर्माण शुरू कराया था। महात्मा गांधी ने इसका उद्घाटन किया था। इसको सौ साल से अधिक का समय बीत चुका है। धूप-पानी सहते-सहते दीवारों में लगे पत्थर अब गल रहे हैं। पूरे विश्व में यह इकतौला मंदिर है, जहां अखंड भारत का मानचित्र है। यहां देवी-देवता की कोई प्रतिमा नहीं है। बताया कि मंदिर को देखने के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेश से भी सैनाली आते हैं। अमेरिका, जापान, इंग्लैंड से काशी आने वाले पर्यटक यहां जरूरत आते हैं। मंदिर का रंगरोगन 20 साल पहले कराया गया थी। इसके बाद मरम्मत अथवा रंगरोगन नहीं कराया गया। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने 2016 में हृदय योजना के तहत 1.33 करोड़ बजट दिया था। इस धनराशि से मंदिर के बाहर पाथ-वे, रेलिंग, बल्ब, लाइटिंग की व्यवस्था कराई गई। मंदिर के अंदर कोई काम नहीं कराया गया। सबसे अधिक जरूरत अंदर की मरम्मत कराने की है। गत वर्षों में आए भूकंप की वजह से काफी नुकसान हुआ। मंदिर की दीवारों में दरारें पड़ गईं। बताया कि हड़प्पा सभ्यता की खोदाई में खंडहरों से मिली पांच हजार साल से अधिक पुरानी लिपियां मंदिर की एक दीवार पर अंकित हैं। देवनागरी लिपि व उसमें हुए बदलाव, देवनागरी को अन्य राज्यों की भाषाओं में कैसे लिखा जाता था, ब्राह्मी लिपि अंकित है। बताया कि पांच हजार वर्ष की हड़प्पा व मोहनजोदड़ों के खंडहरों से मिली लिपियां, चौथी शताब्दी पूर्व से 20वीं शताब्दी तक की देवनागरी और नौवीं शताब्दी में ब्राह्मी अंक की कैसे उत्पत्ति हुई, मंदिर की दीवारों पर इसे दर्शाया गया है।

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