संवत् 2079 विक्रमी फाल्गुन कृष्ण एकादशी तदनुसार दिनांक 16 फरवरी 2023 ई.

जन्म इसलिए कि जान सको कि तुम जन्मे ही नहीं

– ज्योतिष्पीठाधीश्वर अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज

छत्तीसगढ़/बलौदाबाजार/पलारी- ‘परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य जी स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ‘1008’ दिन गुरुवार को प्रातः दर्शन पूजा पश्चात 9 बजे बालसमुंद स्थित 9वी शताब्दी में निर्मित श्री सिधेश्वर मंदिर (शिव मंदिर) पहुँच विशेष पूजा अर्चना कर मंदिर परिक्रमा किए । अशोक साहू शंकराचार्य मीडिया प्रभारी ने बताया पूज्यगुरुदेव शंकराचार्य जी महाराज श्री सिधेश्वर मंदिर में पूजा पश्चात 9:30 बजे बाजार चौक स्थित शेखर वर्मा पत्रकार के निज निवास में पहुँच पदुकापुजन व आशीर्वाद व भरत त्रिपाठी के निज निवास पर दर्शन आशीर्वाद देकर पुनः विश्राम हेतु यशवर्धन वर्मा के निवास पहुँचे। जहा से दोपहर 2 बजे श्रीगणेश पुराण आयोजन स्थल स्वर्गद्वार पहुँचे। मंच संचालन धर्मालंकार डॉ पवन कुमार मिश्र द्वारा व पंडित रवि शास्त्री द्वारा यशवर्धन वर्मा व परिवार को पदुकापूजन करा कथा प्रारम्भ करवाए।

शंकराचार्य जी ने कथा व्यास से कहा जिसका जन्म होता है उसी की मृत्यु होती है। यह समझने की बात है कि जन्म हमारा नहीं हुआ है अपितु हमारे शरीर का हुआ है। हमें जन्म इसलिए मिला है कि हम यह जान सकें कि जन्म तो हमारा हुआ ही नहीं है। 84 लाख योनियों में भटकने के बाद हमें यह मनुष्य शरीर मिला है। अन्य शरीरों से केवल भोग भोग जा सकते हैं। उन शरीरों से ऐसे कर्म नहीं किए जा सकते जिससे हमारा जन्म सफल हो अथवा दूसरा जन्म न हो। केवल मनुष्य शरीर ही ऐसा है जिसमें हम अपना कल्याण कर सकते हैं। परमात्मा की प्राप्ति का प्रयास कर सकते हैं और यह जान सकते है कि जन्म हमारा हुआ ही नहीं है। जन्म तो शरीर का हुआ है।

उक्त उद्गार आज छत्तीसगढ के पलारी ग्राम में ‘परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज ‘1008’ ने व्यक्त किए।

शंकराचार्य जी ने देवताओ और दैत्यों के स्वभाव का वर्णन करते हुए कहा कि जैसे जल में ही उत्पन्न कमल और जोंक का स्वाभाव अलग-अलग होता है वैसे ही देवता और दैत्य भी उत्पन्न तो कश्यप ऋषि से ही हुए हैं लेकिन दोनों का स्वभाव अलग-अलग है। देवता देकर प्रसन्न होते हैं और दैत्य छीनकर प्रसन्न होते हैं।

पूज्यपाद शंकराचार्य जी के प्रवचन के पूर्व पं ब्रजेन्द्र व्यास जी ने अपने विचार प्रस्तुत किये और आचार्य पं राजेन्द्र द्विवेदी शास्त्री ने ज्योतिर्मठ की बिरुदावली का गान किया।

प्रमुख रूप से शिवरतन शर्मा विधायक भाटापारा, राकेश वर्मा अध्यक्ष जिला पंचायत, पूर्व विधायक मनाराम घृतलहरे, योगेश चंद्राकर, खिलेंद्र वर्मा,भुनेश्वरी तिलक वर्मा जिला पंचायत सदस्य, मोती लाल वर्मा, ओमप्रकाश चंद्रवंशी, शेखर वर्मा, नूतन मनोज वर्मा, टिकेश्वरी वर्मा, नीतू, भारती वर्मा जनपद सदस्य, महेंद्र नेहा वर्मा, रामाधार पटेल, के के वर्मा, विपिन बिहारी वर्मा,आनद यादव,
सेवती धीवर, तरुण त्रिपाठी, दुर्गा महेश्वर, तुलसी वर्मा, निलेश चंद्रवंशी, नेतू, तुका वर्मा, डोमार, मुकुत, दिलीप यदु, केसो तुगन, गणेश जयसवाल, वर्षा, हेमलता वर्मा, पत्रकागण सहित हज़ारो की संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे।

कल होगा छप्पन भोग व कथा विश्राम

श्री गणेश पुराण कथा ज्ञानयज्ञ का कल अंतिम दिवस है जहा भगवान श्री गणेश को छप्पन भोग लगाया जाना है जिसका प्रसाद सभी श्रद्धालुओं में वितरण होना है वही कथा विश्राम पश्चात पूज्यगुरुदेव बेमेतरा जिला के ग्राम सलधा प्रस्थान करेंगे।

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