वाराणसी 20 फरवरी संवददाता :- काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में प्रशासनिक अव्यवस्थाओं को लेकर धरना-प्रदर्शन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। छात्र आए दिन विभिन्न समस्याओं को लेकर कहीं न कहीं धरना प्रदर्शन करते रहते हैं। सोमवार को सर सुंदरलाल चिकित्सालय के नर्सिंग महाविद्यालय के छात्र- छात्राओं का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने इंस्टिट्यूट आफ मेडिकल साइंस (आईएमएस) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया । छात्राएं और छात्र नर्सिंग महाविद्यालय के गेट पर बैठकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से उन्हें स्टाइपेंड देने का आदेश है। इसके बावजूद उन्हें स्टाइपेंड नही दिया जाता। हमलोगों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। हमारा स्टाइंपेड हर हाल में चालू किया जाय। इसके अलावा छात्रों को हास्टल नही दिया जा रहा है। मांगने पर आला अधिकारी ने हास्टल देने से साफ मना कर दिया। हास्टल की मांग को लेकर उन्होंने कुलपति, रेक्टर, विभागाध्यक्ष से लगायत सभी अधिकारियों को पत्र दिया लेकिन कोई सुनवाई नही हो रही है। विवश होकर उन्हें धरना-प्रदर्शन करना पड़ा। छात्र विकास का कहना है कि हम लोगों ने हॉस्टल की मांग की। लेकिन कहा गया कि हास्टल नही मिलेगा। छात्र छात्राओं का कहना है कि जब तक हम लोगों की दो प्रमुख मांगे मान नही ली जाती हम शांतिपूर्ण तरीके से धरना- प्रदर्शन जारी रखेंगे। उनका कहना है कि नर्सिंग के सिर्फ 18 छात्र- छात्राओं को हॉस्टल दिया गया है। जबकि प्रथम वर्ष और द्वितीय वर्ष के 40-40 छात्र-छात्राएं हैं। उन्हें अभी तक हास्टल नही दिया गया है। गौरतलब है कि पिछले करीब छह माह से कभी छेड़खानी, सुरक्षा, हिंदी विभाग के पीएचडी के पांच छात्रों को निकाले जाने समेत विभिन्न मामलों को लेकर छात्र-छात्राएं आंदोलन करते रहे। हालत यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन आश्वासन देकर एक समस्या को हल करने का प्रयास करता है तब तक दूसरी समस्या सामने आ जाती है। जानकारों का मानना है कि छात्र-छात्राओं की समस्याओं की अनदेखी, संवादहीनता और किसी न किसी की हठवादिता बीएचयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में आंदोलन का कारण बन रही है।

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