प्रसाद का राष्ट्रवाद मानवता और प्रेम के सन्दर्भो से समृद्ध है – प्रो प्रभाकर सिंह
मुक्ति की आकांक्षा एवं स्वतंत्रता का स्वर प्रसाद के साहित्य का मूल है – प्रो0 बलराज पांडेय
जयशंकर प्रसाद का साहित्य विविध विधाओं में है। उनकी रचनात्मक लेखन के विषयवस्तु में विविधता पायी जाती है। राष्ट्रवाद की जितनी मुखर अभिव्यक्ति उनके नाटकों में है , वैसा अन्य किसी विधाओं में नहीं है। उक्त बातें महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ एवं संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित "जयशंकर प्रसाद के सृजनात्मक साहित्य में राष्ट्रवाद की अवधारणा" विषयक तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो0 राजकुमार , हिन्दी विभाग,काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने कहा। आगे उन्होंने प्रसाद जी के नाटकों, कहानियों, उपन्यासों एवं कविताओं के प्रमुख उदाहरणों के माध्यम से यह बताया कि प्रसाद जी का साहित्य श्रेष्ठ से श्रेष्ठतर, शिखर की ओर अग्रसर होता रहा है, जिसमें विषयवस्तु एवं कलात्मक दोनों स्तर पर निखार आयी है। इस सत्र के मुख्य वक्ता प्रो प्रभाकर सिंह , हिंदी विभाग ,काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने कहा कि जयशंकर प्रसाद के साहित्य में सभ्यता, संस्कृति, संगीत आदि भारत की अनेक कलाएं मौजूद हैं। उन्होंने राष्ट्रवाद की यूरोपियन एवं भारतीय संकल्पना के साथ ही जयशंकर प्रसाद के राष्ट्रवाद को रविन्द्रनाथ टैगोर के राष्ट्रवाद के समकक्ष बताते हुए कहा कि प्रसाद के राष्ट्रवाद में आत्मगौरव, स्वाभिमान, एवं सम्मान के साथ मानवता और प्रेम का सन्दर्भ मज़बूती से विद्यमान है।
इस सत्र का आरम्भ दीप-प्रज्ज्वलन एवं कुलगीत से हुआ। कुलगीत एवं प्रसाद की कविता "बीती विभावरी जागरी" का संगीतयमय प्रस्तुति मंचकला के विद्यार्थियों द्वारा हुई। इस दौरान डॉ0 सुनील कुमार विश्वकर्मा ने जयशंकर प्रसाद का रेखाचित्र सभा के समक्ष बनाया।
विषय प्रवर्तन एवं बीज वक्तव्य प्रो0 अनुराग कुमार ने किया तथा अतिथियों का वाचिक स्वागत डॉ0 सुरेंद्र प्रताप सिंह ने किया। इस सत्र में प्रो0 निरंजन सहाय एवं श्रीमती कविता ने भी अपना वक्तव्य दिया। संचालन डॉ0 प्रीति एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ0 विनोद कुमार सिंह ने किया।
दूसरे सत्र की अध्यक्षता कर रहे प्रो0 बलराज पांडेय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने कहा कि प्रसाद के साहित्य में मुक्ति की आकांक्षा एवं स्वतंत्रता का स्वर विद्यमान है। उन्होंने बताया कि प्रसाद के लेखनी में स्वतंत्रता के तत्व मिलते हैं, जो बड़े संघर्ष और बड़े व्यक्तित्व को जन्म देते हैं। बतौर विशिष्ट अतिथि प्रो०सुमन जैन ने कहा कि जयशंकर प्रसाद का पूरा साहित्य प्रेम,सौंदर्य और संस्कृति का साहित्य है, जिसके वस्तुपक्ष में राष्ट्रीयता की अभिव्यक्ति हुई है। उन्होंने मैथिलीशरण गुप्त और भारतेंदु जी के साहित्य से प्रसाद के साहित्य को प्रवाह दिया। आगे उन्होंने बताया कि प्रसाद की मुक्ति चेतना में राष्ट्रीयता और मानवता का स्वर विद्यमान है। सत्र के विशिष्ट वक्ता प्रो0 नीरज खरे ने कहा कि साहित्य में प्रसाद जी की जो उपस्थिति है, वह असाधारण है। जयशंकर प्रसाद, चन्द्रधर गुलेरी, प्रेमचंद ये तीनों समकालीन कहानीकार थे, लेकिन यह कहना बहुत मुश्किल है कि प्रसाद जी कहानीकार थे या नाटककार। उन्होंने पुरस्कार आकाशदीप, गुंडा आदि कहानियों का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी कहानियां सामाजिक मुद्दे पर आधारित होती थी, जो तत्कालीन समय को परिलक्षित करती हैं। उनकी कहानियों में राष्ट्रवाद की प्रबल अभिव्यक्ति हुई है। इस सत्र का संचालन प्रो0 अनुकूल चंद राय एवं धन्यावद ज्ञापन डॉ0 प्रीति ने किया।
इस अवसर पर श्रीमती कविता, श्री अवधेश, प्रो0 राजमुनी, प्रो0 रामाश्रय सिंह, प्रो0 शिवराम वर्मा, डॉ0 संगीता घोष, डॉ0 दीपक, प्रो0 दयानिधि, डॉ0 विजय रंजन, डॉ0 सुमन ओझा, डॉ0 मनोहर, डॉ0 गोपाल, डॉ0 शैलेश, डॉ0 वीरेंद्र, डॉ0 प्रभाशंकर, डॉ0 मनोज, डॉ0 अर्चना, डॉ0 जयप्रकाश, डॉ0 पाठक, के साथ शोध छात्रों में दीपक, अंकित, बलिराम, अभिषेक, आकाश, अमित, मनीष, प्रवीण, शिवशंकर, प्रज्ञा, प्रियंका, वरुणा, वागीश, विनोद, आयुषी, सूरज, रुद्रप्रकाश, आशुतोष, सौम्या, आकांशा, रीता आदि भारी मात्रा में छात्र – छात्राएँ मौजूद रहें।
आज सायंकाल नाट्योत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत “गुंडा” कहानी का नाट्य-मंचन किया गया, जो डॉ0 वैभव शर्मा के द्वारा निर्देशित एवं भावानुकीर्तनम संस्था, वाराणसी द्वारा सम्पन्न हुआ। इस नाट्य मंचन में जयशंकर प्रसाद के जीवन पर कंथा नामक ग्रंथ लिखने वाले श्यामल जी मौजूद थे उनके अलावा जितेन्द्रनाथ मिश्र, कबीर मठ मूल गादी के साहेब आदि उपस्थित थे। गुंडा नाटक में जिन पात्रों ने नाट्य-मंचन किया, उनके नाम इस प्रकार है- अभिषेक, ज्योति, बबिता, नीतू, प्रीति, निधि, निक्की, शांति, मरियम, काजल, खुशबू, उमा, बिंदु, प्रियंका, कुसुम, आशा, अजय कुमार, आकाश कुमार, रवि वर्मा, सतीश भारद्वाज, बिनीत यादव, प्रियांशु प्रिया, रौनक सिंह आदि।