वाराणसी 24 फरवरी :- काशी में स्थापित देवालयों की श्रृंखला में एक और मणि मेंहदीपुर बालाजी सरकार के रूप में स्थापित हो गया। मेहंदीपूर बालाजी के मंदिर में एक साथ होगे भैरोबाबा व प्रेतराज सरकार के भी दर्शन।

धर्मसंघ के पीठाधिश्वर शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज के सानिध्य में तिनों विग्रहों का फाल्गुन शुक्लपक्ष पंचमी (शूक्रवार) को यज्ञिय वातावरण में वैदिक रिति से प्राण प्रतिष्ठित किया गया। विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा आचार्य लक्ष्मीकान्त दिक्षित जी आचार्यत्व में 11 वैदिक ब्राह्मणों व 121 वैदिक बटुकों के वेद मंत्रो के साथ सम्पन्न हुआ। धर्मसंघ के महामंत्री जगजितन जी ने बताया मुख्य यजमान दिल्ली के निवासी जय नारायण अग्रवाल ने अश्विनी नक्षत्र के अभिजित मुहुर्त में षटकर्म करके शुद्धि सिंचन, दशविध स्नान सहित अनय वैदिक रितियों का प्रतिपादन करके प्राण-प्रतिष्ठा पूजा पुरी की। रविवार 26 फ़रवरी को बालाजी दरबार से जुडे आचार्य महेश चन्द्र मिश्र द्वारा सवामनी का भोग लगा कर 12 से 3 बजे तक दरबार भी लगाया जायेगा। प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में मनोहर लाल अरोड़ा, शिव कुमार पाण्डेय, विश्वनाथजी, (कथाव्यास) भरत पाण्डेय, बलदेव शर्मा जी ने विशेष सहयोग किया।

काशी में स्थापित हुआ बालाजी सरकार का दरबार।

काशी में स्थापित देवालयों की श्रृंखला में एक और मणि मेंहदीपुर बालाजी सरकार के रूप में स्थापित हो गया। मेहंदीपूर बालाजी के मंदिर में एक साथ होगे भैरोबाबा व प्रेतराज सरकार के भी दर्शन।

धर्मसंघ के पीठाधिश्वर शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज के सानिध्य में तिनों विग्रहों का फाल्गुन शुक्लपक्ष पंचमी (शूक्रवार) को यज्ञिय वातावरण में वैदिक रिति से प्राण प्रतिष्ठित किया गया। विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा आचार्य लक्ष्मीकान्त दिक्षित जी आचार्यत्व में 11 वैदिक ब्राह्मणों व 121 वैदिक बटुकों के वेद मंत्रो के साथ सम्पन्न हुआ। धर्मसंघ के महामंत्री जगजितन जी ने बताया मुख्य यजमान दिल्ली के निवासी जय नारायण अग्रवाल ने अश्विनी नक्षत्र के अभिजित मुहुर्त में षटकर्म करके शुद्धि सिंचन, दशविध स्नान सहित अनय वैदिक रितियों का प्रतिपादन करके प्राण-प्रतिष्ठा पूजा पुरी की। रविवार 26 फरवरी को बालाजी दरबार से जुडे आचार्य महेश चन्द्र मिश्र द्वारा सवामनी का भोग लगा कर 12 से 3 बजे तक दरबार भी लगाया जायेगा। प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में मनोहर लाल अरोड़ा, शिव कुमार पाण्डेय, विश्वनाथजी, (कथाव्यास) भरत पाण्डेय, बलदेव शर्मा जी ने विशेष सहयोग किया।

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