वाराणसी 26 फरवरी संवददाता :- चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू एवं ट्रॉमा सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में पांच वर्ष बाद हो रहे दूसरे इंडो-इजराइल ट्रामा कोर्स एवं मास कैजुअलिटी सिचुएशन पर आयोजित कार्यशाला के दूसरे दिन इजरायल के चिकित्सकों और विशेषज्ञों की टीम ने प्रतिभागियों एवं चिकित्सकों समेत पुलिस, पीएसी, 39 जीटीसी, एनडीआरएफ, सीआरपीएफ और आरपीएफ के जवानों के समक्ष अपने विचार व्यक्त किए । दूसरे दिन की कार्यशाला में भी तीन सत्र हुए। पहले सत्र में, श्री गाइ कास्पी; हज़-मैट के प्रशिक्षक और निदेशक ने एमसीआई (सामूहिक दुर्घटना की घटनाओं) में प्री-हॉस्पिटल प्रबंधन पर व्याख्यान दिया। उनकी बात तैयारियों के बाद के अगले चरण की प्रतिक्रिया पर केंद्रित थी। प्राकृतिक आपदा, आतंकी हमले और साइबर हमले के रूप में कई तरह के खतरे हैं। इसके अलावा, उन्होंने एमसीआई की विभिन्न परिभाषाओं में कुछ अंतर्दृष्टि भी प्रदान की। किसी स्थिति को एमसीआई कब कहा जा सकता है? यह संसाधनों और हताहतों के अनुपात पर निर्भर करता है। उन्होंने वर्ष 2000 की शुरुआत में हुए आतंकी हमलों से उदाहरण दिया। वर्ष 2004 में जेरूसलम में एक आतंकी हमला हुआ था और अस्पतालों ने बहुत कुशलता से स्थिति का सामना किया था। उन्होंने उस हमले की प्रतिक्रिया का उदाहरण देते हुए कहा कि हताहतों की गंभीरता के अनुसार उनके इलाज के लिए एक व्यवस्थित ढांचा पहले से उपलब्ध था। उन्होंने कहा कि एमसीआई एक बड़ी चुनौती है क्योंकि यह अराजकता पैदा करता है, ऐसे में विभिन्न प्रकार के फैसले तेजी से लेने होते हैं। यह चिकित्सा नैतिकता पर सवाल उठाता है कि किस दुर्घटना को प्राथमिकता के रूप में लिया जाएगा और क्यों? आखिरकार, मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाना है। श्री कास्पी ने एमसीआई को पूरी प्रतिक्रिया प्रक्रिया भी समझाई, क्योंकि यह क्षेत्रीय प्रेषण केंद्र से शुरू होती है। ऐसे बहु आकस्मिक परिदृश्यों में, यह तय करना महत्वपूर्ण है कि किस रोगी का इलाज किस स्तर के अस्पतालों में किया जाएगा, यह पीड़ित की गंभीरता पर निर्भर करता है। सत्र के अंतिम भाग में ट्रॉमा सर्जरी और क्रिटिकल केयर जेपीएन एपेक्स ट्रॉमा सेंटर, एम्स के प्रोफेसर अमित गुप्ता जी ने 2017 से 2023 तक सीखे गए पाठों पर व्याख्यान दिया। उन्होंने इस विचार पर ज़ोर दिया कि अगर कहीं कुछ अच्छा है तो उसे हमें अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा, भारत में लोगों को विकलांग बनाने के लिए सड़क दुर्घटनाएं सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। ऐसे मरीजों की संख्या बहुतायत में है जो अस्पताल से वापस जाकर कभी सामान्य जीवन नहीं बिता सकते। सामूहिक दुर्घटना परिदृश्य से निपटने में नर्स और पैरामेडिक्स सबसे महत्वपूर्ण साबित होते हैं।