श्रीरामचरितमानस और महाभारत ऐसे दो महाकाव्य हैं, जिनके आधार पर भारतीय संस्कृति का विकास हुआ है। गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा अवधी भाषा में रचित श्रीरामचरितमानस भारतीय भाषाओं में लिखा गया सबसे प्रमुख महाकाव्य है।
‘रामचरितमानस’ का अर्थ है “भगवान राम की लीलाओं का सरोवर”। प्रभु श्रीराम का जीवन-चरित्र भारतीय अव-चेतना सर का मूल आधार है। राम के चरित्र-चित्रण में गोस्वामीजी ने एक आदर्श पुत्र, एक आदर्श भाई, एक आदर्श पति और एक आदर्श शासक के गुण तथा उपरोक्त सभी भूमिकाओं में संतुलन-निर्वाह का बखूबी वर्णन किया है। राम का चरित्र एक ऐसा सशक्त चरित्र है, जो असत्य पर सत्य की विजय की उपादेयता को प्रतिपादित करता है और भारतीय मूल्य-प्रणाली और समाज में आचरण के मानदंड को परिभाषित करता है। राम-चरित्र के धागों से भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों का ताना-बाना बुना है। वहीं लोक प्रशासन में “राम-राज्य’ की उपमा स्वर्ण-मानक मानी जाती है। रामकथा को जन-जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से मध्यकाल में संस्कृत के प्रकांड पंडित गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामकथा को ‘रामचरितमानस’ के रूप में उत्तर भारत में प्रचलित जनभाषा अवधी में लिखना चुना। इस महाकाव्य का गेय स्वरुप होने के कारण भक्ति-भाव से ‘अखंड रामायण’ अथवा इसके ‘सुन्दरकाण्ड’ का घर-घर में गायन किया जाता है। अति कर्ण-प्रिय और अर्थवान होने पर भी, चूँकि यह अनुपम महाकाव्य मध्यकाल की जन-भाषा अवधी भाषा में लिखा गया है, इसका सही-सही अर्थ अधिकांश हिंदी-भाषियों को भी समझ में नहीं आ पाता है। जिस उद्देश्य से गोस्वामी जी ने रामकथा को जन-भाषा अवधी में लिखने का निश्चय किया था, वह आज पुनः प्रासंगिक है। यह सम-सामयिक आवश्यकता है कि अवधी में लिखे इस अद्भुत महाकाव्य को हिंदी काव्य-रूप में घर-घर तक पहुंचाया जाए। ऐसे ही शुभ संकल्प के साथ डॉ धीरज भटनागर ने पिछले दो वर्षों गोस्वामी तुलसीदास-
कृत ‘श्रीरामचरितमानस’ का खड़ी बोली हिंदी में काव्यानुवाद सम्पूर्ण किया है। यह इस महाकाव्य को घर-घर तक पहुंचाने का प्रयास है। इस हिंदी काव्यानुवाद का उद्देश्य अवधी में रचित श्रीरामचरितमानस को बोधगम्य बनाना है। काव्य-अनुवाद के सुंदरकांड को सोशल मीडिया यथा यूट्यूब पर ऑडियो रूप में भी लॉन्च किया जा रहा है। इस काव्यानुवाद का विमोचन दिनांक ४ अप्रैल को सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम में पूजनीय श्रीमदजगद्गुरु शंकराचार्य ज्योतिषपीठाधीश्वर स्वामी श्री वासुदेवानंद सरस्वती द्वारा किया जा रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय श्री राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री भारत सरकार करेंगे। जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामराजेश्वराचार्य, श्री महंत रवींद्र पुरी जी, स्वामी श्री जितेन्द्रनाथ जी, दण्डीस्वामी श्री जितेन्द्रनाथ सरस्वती जी, माननीय श्री अनुराग सिंह ठाकुर,
सूचना और प्रसारण तथा खेल तथा युवा विकास मंत्री, माननीय श्री भूपेंद्र यादव, श्रम व रोजगार तथा पर्यावरण मंत्री, माननीय श्री सुधांशु त्रिवेदी, सदस्य, राज्य सभा विशिष्ट अतिथि होंगे।
पुस्तक का मुद्रण रेप्रो बुक्स लिमिटेड ने किया है। चित्र-विन्यास विजय वर्मा (कार्व डिज़ाइन) ने किया है।
सुन्दर काण्ड के ऑडियो प्रारूप के लिए श्री संजय कुमार झा ने संगीत दिया है, जिसके लिए सुरेश वाडकर, पंडित आनंद शर्मा, सुश्री तुलसी कुमार, श्री कपिल शर्मा, श्रीमती पद्मा वाडकर, सुश्री संजीवनी भिलन्दे, श्री देबोजीत साहा, सुश्री लीना बोस, सुश्री इन्द्राणी भट्टाचार्जी, श्री दुष्यंत प्रताप सिंह, श्री सचिन शर्मा, सुश्री सुगंधा दाते और श्री संजय कुमार झा ने अपनी आवाज़ दी है।
रामकथा के द्वारा राम के उदात्त चरित्र के विभिन्न आयामों का सबको परिचय देना और जीवन जीने की शैली सिखाने में इसका सच्चा महत्त्व है। आशा है, सरल और आधुनिक हिंदी में लिखा यह काव्य-अनुवाद सबको क्षमता दे कि वे राम की लीलाओं के सरोवर में छुपे ज्ञान के मोती सहजता से चुन सकें।
लेखक परिचय श्रीरामचरितमानस का सर्वप्रथम काव्य-अनुवाद (पद्य रूप में) (डॉ.) धीरज भटनागर ने किया है। यह कार्य उन्होंने मार्च, 2020 में प्रारम्भ किया, जो दिसंबर 2022 में समाप्त हुआ। श्री भटनागर भारतीय राजस्व सेवा के वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं, जिन्होनें अवर सचिव, DIPAM, वित्त मंत्रालय तथा प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त, नयी दिल्ली (सचिव-तुल्य) के उच्च पदों
पर सेवायें दी है। उन्होंने चिकित्सा तथा विधि दोनों धाराओं में प्रोफेशनल योग्यताएं अर्जित की हैं, और बाथ विश्व विद्यालय (UK) से राजकोषीय अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है।
उनका मानना है कि रामकृपा से ही मनुज तन मिलता है, जो साधन का धाम और मोक्ष का द्वार है। उनके अनुसार राम कृपा से ही राम कथा कहने-सुनने की सुमति आती है।
संपर्क: tulsidaskripa@gmail.com

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