अब तक 20 क्षय रोगियों को ले चुकीं हैं गोद, नौ पूर्ण रूप से हुए स्वस्थ
पोषण स्वास्थ्य देखभाल के साथ रोगी व परिवार को दे रहीं भावनात्मक सहयोग
वाराणसी, 05 जून 2023 – जनपद में टीबी मरीजों की निःस्वार्थ भाव से सहायता करने के लिए की अधिकारी व स्वयं सेवी संस्थाएं निक्षय मित्र बनकर आगे आ रही हैं। इन्हीं में से एक हैं स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ व पूर्व चिकित्साधिकारी डॉ. स्वर्णलता सिंह, जिन्होंने अपने पैतृक गाँव काशी विद्यापीठ ब्लॉक रोहनिया क्षेत्र पिलखीनी एवं उसके आसपास के आर्थिक रूप से कमजोर व जरूरतमंद टीबी रोगियों को स्वस्थ करने की ज़िम्मेदारी उठाई है। नवंबर 2022 से अब तक वह 20 क्षय रोगियों को गोद ले चुकी हैं जिसमें से नौ मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं। इस नेक कार्य में सीनियर टीबी सुपरवाइज़र (एसटीएस) अभिषेक प्रताप सिंह उनका सहयोग कर रहे हैं।
गौरतलब है कि डॉ. स्वर्णलता लम्बे समय से सामाजिक कल्याण के कार्यों से जुड़ीं हैं। वह हर साल अक्षय नवमी के दिन गरीब परिवार के लड़कियों की शादी, कुपोषित बच्चों को पोषण देखभाल आदि में मदद करती हैं। डॉ स्वर्णलता बताती हैं – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की प्रेरणा से मैंने क्षय रोगियों को गोद लेने का निश्चय किया जिससे वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाया जा सके। पिछली अक्षय नवमी के दिन मैंने 10 क्षय रोगियों को गोद लिया था। हाल ही में 10 और क्षय रोगियों को गोद लिया है। अब तक गोद लिए मरीजों में चार एमडीआर रोगी भी हैं। स्वस्थ होने तक मरीजों को हमारी ओर से हर माह पाँच से छह किलोग्राम की पोषण पोटली जिसमें भुना चना, गुड़, सोयाबीन, तिल व संपूरक प्रोटीनयुक्त पोषक आहार प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा -“आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के क्षय रोगियों को उपचार के साथ-साथ नियमित पोषण व स्वास्थ्य देखभाल तथा भावनात्मक सहयोग की बेहद आवश्यकता है। समाज और परिवार के साथ की भी उतनी ही आवश्यकता होती है जिससे वह समाज में किसी भी परेशानी के बिना अपनी सामान्य ज़िंदगी बिता सकें”।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि टीबी के मरीजों की शुरुआती पहचान, सम्पूर्ण उपचार और बेहतर देखभाल से टीबी की रोकथाम के उपायों को मज़बूत किया जा सकता है। इसके अलावा समाज में टीबी को लेकर कई भ्रांतियां भी हैं जो संभावित रोगियों को अस्पताल तक पहुंचकर समय से जाँच और इलाज लेने में एक बड़ी रुकावट बनी हुई हैं। उपचार के बेहतर परिणाम सुनिश्चित करने के लिए यह ज़रूरी है कि स्वास्थ्य प्रणाली और समाज, दोनों से ही भ्रांतियों और भेदभाव को दूर किया जाए। निक्षय मित्र की पहल भी इसी दिशा में एक प्रयास है।
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ पीयूष राय ने बताया कि इस वर्ष जनवरी से अब तक जनपद में 6,882 क्षय रोगियों को नोटिफ़ाई किया जा चुका है। इन सभी का उपचार चल रहा है। वर्तमान में जनपद में 2357 निक्षे मित्र हैं जिन्होंने 5857 क्षय रोगियों को गोद लिया है। डॉ. पीयूष ने जनपदवासियों से अपील की है कि क्षय रोगियों कि सहायता करने के लिए आगे आयें। उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति या संस्था निक्षय मित्र बन सकता है| इसके लिए निक्षय पोर्टल www.nikshay.in पर रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है। औपचारिकताएं पूरी करने के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से निक्षय मित्र को क्षय रोगियों का विवरण उपलब्ध कराया जाता है और गोद दिया जाता है। अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 1800-11-6666 पर संपर्क किया जा सकता है।
रोगी के परिजनों ने सराहा
तेइस वर्षीय टीबी रोगी सौरभ (काल्पनिक नाम) के परिजन ने कहा – हम गरीब परिवार से हैं। ऐसे में बच्चे की बीमारी में विशेष ख्याल के साथ अच्छे खानपान की ज़रूरत पूरा करने में असमर्थ थे। लेकिन स्वास्थ्य विभाग और डॉ. स्वर्णलता मैडम ने हमारे बच्चे के स्वस्थ होने में जो मदद की है उसके लिए हम बहुत आभारी हैं। वह बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में पूछती रहती थीं जिससे हमें बहुत हिम्मत मिली और हम उसका बेहतर ख्याल रख पाए। अब वह पूरी तरह स्वस्थ है। सत्रह वर्षीय सीमा (काल्पनिक नाम) के परिजन ने बताया – इतनी छोटी उम्र में बच्ची को टीबी हो जाएगी, नहीं सोचा था। आर्थिक स्थिति ठीक न होने कारण उसके खानपान में ध्यान नहीं दे पा रहे थे लेकिन जब उसे डॉक्टर मैडम ने गोद लिया तब से उसे अच्छे खानपान में मदद मिली। हर माह पोषण पोटली मिली। प्रतिदिन दवा भी खाई। डॉक्टर मैडम की सभी बातों का ध्यान दिया। आज उनकी बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है।