उक्त विचार वसंता कॉलेज फॉर वीमेन राजघाट, वराणसी के सह आचार्य, डॉ जय सिंह ने शिक्षा शास्त्र विभाग , काशी विद्यापीठ, वाराणसी द्वारा आयोजित व्याख्यान माला में बतौर मुख्य वक्ता बोलते हुए प्रस्तुत किये।डॉ जय सिंह ने सांखियकी के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सांख्यिकी के बिना शोध का कोई भी स्वरूप चाहें मात्रात्मक हो या गुणात्मक ,अधूरा ही रहता है । सांख्यिकी का सम्यक ज्ञान ही किसी शोध को पूर्णता प्रदान करता है ।शोध कार्य के लिए एकत्र आंकड़ों को सही रूप प्रदान करने के लिए ,आंकड़ों को प्रस्तुतीकरण करने के लिए, आंकड़ों का मान ज्ञात करने के लिए तथा उन आंकड़ों के आधार पर परिणाम ज्ञात निकालने के लिए सांख्यिकी का प्रयोग किया जाता है। सांख्यिकीय विश्लेषण न केवल शोध का सही परिणाम देता है बल्कि शोध को एक निश्चित दिशा भी प्रदान करता है। दूसरे शब्दों में शोध की आत्मा के रूप में सांख्यिकी को माना जा सकता है। सांख्यिकी के बिना शोध नितांत अधूरा है। शोध की पूर्णता के लिए सांख्यिकी विधियों(प्राचलिक व अप्राचलिक) का प्रयोग अत्यंत सावधानी से किये जाने की आवश्यकता हैं। शोध मे विभिन्न विधियों के आधार पर टी टेस्ट व एफ टेस्ट के उपयोग से शोध के उद्देश्यों की प्राप्ति होती है । परिकल्पना के परीक्षण के लिए सांख्यिकी का उपयोग अनिवार्य है। परिणामों की व्याख्या और परिणामों के आधार पर भविष्य कथन कहने में सांख्यिकी विधियों का महत्तवपूर्ण योगदान है। अतः यह कहा जा सकता है कि सांख्यिकी के बिना शोध अधूरा रह जाता है। मुख्य अतिथि का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो शैलेंद्र कुमार वर्मा ने पुष्प गुच्छ देकर तथा वाचिक स्वागत प्रो सुरेंद्र राम ने किया । धन्यवाद ज्ञापन डॉ दिनेश कुमार व कार्यक्रम का संचालन डॉ वीणा वादिनी अर्याल ने किया। इस अवसर पर प्रो रमाकांत सिंह, डॉ राजेंद्र यादव, विनय सिंह, शिखा राय, रोहिणी मालवीय, दिव्या, कृति, आयुषी, गिरिजेश, प्रीति, शिव, अरुणकुमार, दिलीप, आनंद लक्ष्मी, जया चौबे, शिखा पटेल, आकांक्षा जोशी, आकांक्षा शर्मा, आकांक्षा सिंह, नेहा, विकास, सुनील, दिनेश, लक्ष्मी मिश्र व अमर बहादुर समेत सभी शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित थे। यह जानकारी विवि के सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी डॉ नव रतन सिंह जी ने दी ।।

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