वाराणसी 10 अक्टूबर संवाददाता :- रामनगर में इंडो अमेरिकन चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स (IACC) एवं विदेश व्यापर महानिदेशालय कार्यालय, वाराणसी संयुक्त रूप से रामनगर औद्योगिक एसोसिएशन के सहयोग से रामनगर में “जिले को निर्यात हब के रूप में विकसित करने पर परिचर्चा” विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया ।


मुख्य अतिथि वक्ता श्री राजीव कुमार सोनी, आईटीएस, संयुक्त महानिदेशक, विदेश व्यापार, भारत सरकार ने उद्यमियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सभी उद्यमी भयमुक्त होकर अपने निर्यात को बढ़ाने का हर संभव प्रयाश करे सरकार हर प्रकार से सहयोग करने के लिए सदैव तत्पर तैयार है । विदेश व्यापार निति २०२३ अनुसार हमें 2 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात तक पहुंचना होगा ।

निर्यात बढ़ाने के लिए सरकार अनेक सुविधाएं एवं सहयोग दे रही है साथ ही नए उद्यमियों को निर्यात के लिए उद्यमियों को प्रोत्साहित भी कर रही है । सोनी ने कहा कि ई-कॉमर्स निर्यात एक आशाजनक श्रेणी है । विभिन्न अनुमान 2030 तक 200 से 300 अरब डॉलर के बीच ई-कॉमर्स निर्यात क्षमता का सुझाव देते हैं। एफटीपी 2023 ई-कॉमर्स हब और भुगतान समाधान, बही-खाता, रिटर्न नीति और निर्यात अधिकार जैसे संबंधित तत्वों की स्थापना के इरादे और रोडमैप की रूपरेखा तैयार करता है ।

शुरुआती बिंदु के रूप में, एफटीपी 2023 में कूरियर के माध्यम से ई-कॉमर्स निर्यात पर खेपवार सीमा को 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख कर दिया गया है । यह आउटरीच और प्रशिक्षण गतिविधियाँ कारीगरों, बुनकरों, परिधान निर्माताओं, रत्नों और आभूषण डिजाइनरों की क्षमता निर्माण के लिए शुरू की गई हैं ताकि उन्हें ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर शामिल किया जा सके और उच्च निर्यात की सुविधा मिल सके । श्री सोनी ने कहा कि वाणिज्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में कुल माल निर्यात रु. 550 करोड़, और वित्त वर्ष 2023-24 में, (अप्रैल 2023 से जुलाई 2023 तक) कुल व्यापारिक निर्यात रु. 160 करोड़ का लेन-देन हुआ है ।
सेमिनार के प्रारम्भ में इंडो अमेरिकन चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स (IACC) के चेयरमैन श्री राजेश कुमार तिवारी ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया । श्री राजेश तिवारी ने कहा कि आई ए सी सी भारत-अमेरिका के बिच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है । दोनों देशों के बिच विभिन्न व्यावसायिक संगठनो के साथ गढ़बंधन कर एवं लगातार भारतीय और अमेरिकी सरकारों के साथ बातचीत करती है और व्यापार बढ़ाने का हर संभव प्रयाश कर रही है । IACC अपनी सदस्य कंपनियों के लिए दोनों सरकारों के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बातचीत करने के लिए एक मंच के रूप में भी कार्य कर रहा है ।
रामनगर औद्योगिक एसोसिएशन के अध्यक्ष देव भट्टाचार्य ने कहा कि इस समय सरकार द्वारा जिस तरह से निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिये जो सुविधाये दी जा रही है वो काबिले तारीफ है और रामनगर औद्योगिक क्षेत्र जो कि पूर्वांचल का सबसे महत्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र है , यहाँ के कई फैक्टरियों में उत्पादित माल की गुणवत्ता इतनी अच्छी है कि उनके माल का विदेशों में बहुत माँग है , यहाँ तक कि अमेरिका में भी रामनगर औद्योगिक क्षेत्र में उत्पादित मशीने जा रही है । इस तरह की बैठकों से उद्यमियों में एक जागरूकता और निर्यात करने का प्रोत्साहन भी मिलता है । और निश्चित ही आगे और भी उद्यमी विदेशो में अपना बाजार तलाशेंगे ।
MSME Sector, हिन्दुस्तान की आर्थिक उन्नति की रीढ़ की तरह है, जो देश की GDP में 27 % का योगदान करता है । एमएसएमई, कृषि क्षेत्र के बाद यह दूसरा क्षेत्र है, जिसमें रोजगार पैदा कर बेरोजगारी को दूर करने और आर्थिक उन्नति को बढ़ावा देता है । MSME उद्यम पंजीकरण पोर्टल के अनुसार देश में करीब 96 % सूक्ष्म उद्योग, 3.5 % लघु उद्योग तथा 0.3 % मध्यम उद्योग हैं । MSME मंत्रालय, भारत सरकार नए रोजगार एवं औद्योगिक क्रांति के लिए सतत् प्रयास कर रही है । जिसके लिए एंटरप्रेन्योरशिप एवं स्किल डेवलपमेंट के माध्यम से युवक एवं युवतियों को प्रशिक्षण के पश्चात् PMEGP Scheme के माध्यम से नए रोजगार स्थापित करने हेतु पूर्ण रूपेण हैंड-होल्डिंग सहायता दी जाती है । रोजगार लगाने के पश्चात् इकाइयों को वैश्विक प्रतिद्वंदिता के लिए मंत्रालय की जीरो इफेक्ट जीरो डिफेक्ट, लीन मैन्युफेक्चरिंग, कलस्टर डेवलपमेंट स्कीम, प्रोक्योरमेंट एंड मार्केटिंग स्कीम, इंटरनेशनल कॉरपोरेशन स्कीम और इनोवेटिव स्कीम (आईपीआर, डिजाइन और इनोवेशन) इत्यादि के माध्यम से इकाइयों को लाभ दिया जाता है । इकाइयों की समस्याओं को दूर करने के लिए राज्य स्तर पर Control Room बनाया गया है, जिसके माध्यम से इकाइयों की समस्याओं को अति शीघ्र दूर किया जा सके । एमएसएमई, विकास कार्यालय, प्रयागराज के संयुक्त निदेशक, श्री एल.बी.एस. यादव ने बताया कि मंत्रालय की उपरोक्त योजनाओं का लाभ उठाते हुए इकाइयां अपने उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाते हुए निर्यात के क्षेत्र में उन्नत हो सकती हैं ।
श्री सुनील कुमार, शाखा प्रबंधक, ईसीजीसी वाराणसी ने बताया कि ईसीजीसी भारत सरकार की इकलौती संस्था है जो निर्यातकों को निर्यात ऋण जोखिम से सुरक्षा प्रदान करती है एवं ईसीजीसी हमेशा दावों के भुगतान के लिए तत्पर रहती । उन्होंने प्रतिभागियों को ईसीजीसी कवर से होने वाले फायदों से भी अवगत कराया। उन्होंने आगे यह भी बताया कि विगत साढे पांच वर्षों में वाराणसी शाखा ने 57 दावों (रूपए 23.25 करोड से ज्यादा) का भुगतान किया है, जिनकी वार्षिक औसत 10 दावों से ज्यादा व रूपए 4.25 करोड के लगभग आती है ।
सभी अतिथि वक्ताओं के सम्बोधन के पश्चात प्रश्नोत्तर कार्यक्रम में उपस्थित उद्यमियों ने वक्ताओं से रामनगर औद्योगिक एरिया में आ रही उत्पादन एवं निर्यात से सम्बंधित विभिन्न समस्याओ एवं सुझावों से अवगत कराया । सभी वक्ताओं ने प्राप्त सभी सुझावों एवं निर्यात में आ रही समस्याओ का अध्ययन कर जल्द ही दूर करने का आश्वाशन दिया ।
कार्यक्रम का संचालन इंडो अमेरिकन चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष सी ए मुकुल कुमार शाह ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन आई ए सी सी के उपाध्यक्ष श्री अलोक कुमार बरनवाल ने किया ।
इस सेमिनार में इंडो अमेरिकन चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स के उपाध्यक्ष सी ए शिशिर उपाध्याय एवं पूर्व चेयरमैन सी ए सुदेशना बासु एवं रामनगर औद्योगिक एसोसिएशन के महासचिव श्री सतीश गुप्ता एवं कोषाध्यक्ष श्री पंकज बिजलानी उपस्थित थे ।।

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