काशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण के वर्षगाठ पर शिव बारात समिति द्वारा आयोजित लोक महोत्सव के नाम से निकलने वाली शोभायात्रा आने वाले कल के इतिहास की पटकथा है – जगदम्बा तुलस्यान ||
काशी विश्वनाथ धाम को बनाने वाले कल रहे या ना रहे लेकिन सैकड़ो साल बाद भी उनका नाम रहेगा – दिलीप सिंह ||
वाराणसी :- लक्सा स्थित मारवाड़ी युवक संघ में काशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण के वर्षगाठ पर शिव बारात समिति द्वारा 11 दिसम्बर सोमवार कों पत्रकार वार्ता का आयोजन | पत्रकार वार्ता के दौरान बताया गया की शव और शिव के बीच की कड़ी ही काशी या “बनारस” है यूँ तो भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है लेकिन एक बनारस ही है जहाँ भाषा अपने मूल अर्थ खोकर शिवत्व को प्राप्त हो जाती है | यहाँ का व्याकरण किसी शास्त्र का आधीन नहीं है अपितु यह शिव के गणो द्वारा नित नये -नये रूप लेकर सृजित होता रहता है |
संतुष्टि का जो भाव बनारस में है वह संसार में कहीं नहीं मिलता एक बनारसी, गरीब हो या अमीर तब तक जांगर नही डोलाता जब तक नितान्त आवश्यक या अभाव न हो बाहर से यह आलस्य प्रतीत होता है लेकिन गूढ़तः यह “परमपद”, कैवल्य, “निर्वाण” अथवा “मोक्ष” की ही अवस्था है जहाँ समस्त संसार प्रवृति या निवृति में जीता है वहीं काशीवासी इन दोनों के बीच द्वन्द-रहित स्थिर जीता है |
मेरी अपनी दृष्टि काशी बनारस को समझने के बजाए महसूस किया जा सकता है क्योंकि इसे व्यक्त करना ठीक वैसे ही है जैसे भाषा से अनजान व्यक्ति से व्याकरण पर शास्त्रार्थ करना | नित नया परस्पर विरोधी, विचित्र, अद्भुत और सर्व समावेशी ही काशी – बनारस है काशी को एक और नाम आनन्द-वन से भी जाना जाता है जहाँ वन जटिल, दुरुह और कठीन की प्रतीत होता है वही आनन्द-वन, काशी बनारस सरलता से ओतप्रोत होते हुए भी गूढ़ और अप्रत्याशित है |
ज्ञान की पराकाष्ठा पर उत्पन्न वितराग ,”वैराग” जिस स्थान पर आनन्दित हो “अनुराग” में परिणित हो वही “काशी” है | काशी के किसी क्षेत्र में जाईये “ज्ञान”, “वैराग्य” और “आनन्द” का एक मिश्रित रस ही मिलेगा जो बनारस है |
बाहर से देखने पर बनारस सुस्त और मंद दिखता है ब्रह्मांड की ऊर्जा का यह मस्तिष्क रूपी केन्द्र बनारस | शरीर रूपी समग्र संसार को ठीक उसी प्रकार निर्देशित करता है जिस प्रकार शरीर की समस्त अंग व कोशिकाओं को मस्तिष्क से निर्देश प्राप्त होता है |
मेरी समझ में शिव काशी के हैं शिव की काशी कहना “शिव” और “काशी” दोनो की महता को सीमित करता है काशी” अघोर है अतएव यहाँ शिव भी “अघोर” हैं |अघोर” अर्थात जो “घोर” जटिल न हो जिसमें बच्चों सी सरलता हो ,जो भेद मुक्त हो ,जो निर्दवन्द और उनमुक्त हो |
13 दिसम्बर सन 2021 को श्री काशी विश्वनाथ धाम (कारीडोर) का उद्घाटन हुआ समस्त काशीवासी अब गर्व से कहते है हम बनारस में रहते है पुरे भारत एवं पुरे विश्व से भारी संख्या में | श्रद्धालु श्री काशी विश्वनाथ धाम का दर्शन करने आ रहे है शिव बारात समिति एवं ऊ०प्र० संस्कृति विभाग की तरफ से 13 दिसम्बर बुधवार को दोपहर 12 बजे से भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी | काशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण के वर्षगाठ पर शिव बारात समिति द्वारा आयोजित लोक महोत्सव के नाम से निकलने वाली शोभायात्रा आने वाले कल के इतिहास की पटकथा है काशी विश्वनाथ धाम को बनाने वाले कल रहे या ना रहे लेकिन सैकड़ो साल बाद भी उनका नाम रहेगा |
भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं इनके सहयोगी योगी आदित्यनाथ के इस महानहत्स्य की याद हर लोकार्पण दिवस पर निकलने वाली शोभायात्रा याद दिलाती रहेगी | यह शोभायात्रा मैदागिन से चलकर दोपहर 2.30 बजे तक चितरंजन पार्क तक जाएगी |
इस शोभायात्रा को आमजन का लोक उत्सव कहा जायेगा बनारस के समस्त धार्मिक, सामाजिक संस्थाओं से अपील किया गया है कि अपनी संस्था के बैनर के साथ 13 दिसम्बर को श्री काशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण दिवस पर निकलने वाली शोभायात्रा में शामिल हों |
यह शोभायात्रा काशी शिव भक्तों की शोभायात्रा के रूप में जाना जायेगा शिव बारात समिति के सचिव दिलीप सिंह ने बताया की लोक उत्सव के रूप में निकलने वाली शोभायात्रा में बनारस के प्रमुख सन्त, महात्मा रथ पर शामिल होंगे | इंडिया ग्रुप रहेगा भगवान के स्वरुप चंद्रयान का माडल अयोध्या में हो रहे राम मंदिर के नव निर्माण की झांकी, नारी सशक्तिकरण बिल इत्यादि को झांकी के रूप में शामिल किया जायेगा | परम्परागत ढंग से बैंड, ढोल भगवान के स्वरुप भी शामिल किया जायेगा अनेक संस्थाओं के तरफ से जगह-जगह शोभायात्रा का स्वागत एवं पुष्प वर्षा किया जायेगा |
पत्रकार वार्ता में संस्था के अध्यक्ष जगदम्बा तुलस्यान, संस्थापक दिलीप सिंह , प्रचार मंत्री सुरेश तुलस्यान , कोषाध्यक्ष महेश महेश्वरी, रघुदेव अग्रवाल शिव बारात समिति के सदस्य उपस्थित थे ||