वाराणसी । संत रविदास की जयंती पर देश-दुनिया से लाखों की संख्या में अनुवाई जुटते है। उनके भक्तों रविदासिया धर्म का मर्म जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प दोहराते है। माघी पूर्णिमा की तिथि पर रविदासिया धर्म के लोग पुरे उत्साह के साथ संत रविदास की जयंती मनाते हैं। विराट उत्सव की शुरुआत सुबह आठ बजे 120 फुट ऊंची पताका फहरा कर होती है। 

स्थानीय निवासी रोहित कुमार यादव ने बताया कि यह पताका 120 फीट ऊंची होती है और इसे बदलने के लिए 150 फीट गहरा कुआं बनाया गया है। इस पताके का हर साल कपड़ा बदल जाता है। उन्होंने बताया कि इस पटाखे पर संत शिरोमणि गुरु रविदास जी का प्रतीक चिन्ह सबसे ऊपर होता है। इसका कपड़ा बदलने के साथ यहां पर उत्सव का माहौल होता है। रविदास जयंती पर देश के साथ विदेश से आए दर्शनार्थी जमकर उत्सव मनाते हैं और पुष्प वर्षा करते हैं। इसके साथ ही नारा भी बुलंद करते हैं, जिसमें रविदास शक्ति अमर रहे… और जो बोले सो निर्भय-सद्गुरु महाराज की जय… के गगनभेदी उद्घोष करते हैं। इस पताके का कपड़ा बदलने के दौरान धर्म प्रमुख संत निरंजनदास मौजूद रहते हैं. रस्सी के सहारे जैसे जैसे पताका ऊंचाई पर पहुंचता है वैसे वैसे रविदासी समुदाय के उत्साह का पारा भी चढ़ता जाता है। हवा में पताका के फहराते ही समूचा वातावरण जय गुरुदेव तन गुरुदेव के घोष से गुंजायमान होने लगता है।

इस बेहद खास मौके की स्मृतियों को हमेशा के लिए अपने साथ समेट लेने की चाहत में सैकड़ों नर-नारी अपने फोन के कैमरे से वीडियो रिकार्डिंग करते है। इस समारोह के करीब दो घंटे बाद सत्संग और प्रणामी सभा मुख्य पंडाल में आरंभ होती है। देश के विभिन्न हिस्सों से पधारे संतों-महात्माओं और पंजाब की कई राजनीतिक हस्तियों से सजे विशाल मंच से संत समाज ने लाखों संगत को सद्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया जाता है।

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