1974 में, ईरान ने फ्रांस के यूरेनियम संवर्धन संयंत्र में 1 बिलियन डॉलर का निवेश किया और बदले में 10% संवर्धित यूरेनियम का अधिकार प्राप्त किया। तेहरान में, ईरान का परमाणु कार्यक्रम वैश्विक चर्चा का विषय बन गया है। अमेरिका, इज़राइल और कई पश्चिमी देशों ने ईरान पर परमाणु हथियार विकसित करने का आरोप लगाया है। हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि कमजोर मध्य पूर्व में ईरान परमाणु हथियारों की दिशा में कदम बढ़ा सकता है।
ईरान का परमाणु कार्यक्रम और विवाद:
ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है। 2024 में, एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा था, “हमारा परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण है और इसका सैन्य उपयोग नहीं किया जाएगा।” हालांकि, 2000 के दशक की शुरुआत में ईरान के गुप्त परमाणु स्थलों के खुलासे ने दुनिया भर में चिंताएं बढ़ा दी थीं।
परमाणु तकनीक किसने दी ईरान को?
ईरान के परमाणु कार्यक्रम की शुरुआत 1950 के दशक में अमेरिकी “Atoms for Peace” कार्यक्रम के तहत हुई थी। अमेरिका ने ईरान को परमाणु तकनीक, ईंधन, उपकरण और प्रशिक्षण प्रदान किया। 1967 में, अमेरिका ने ईरान को 5 मेगावाट का एक शोध रिएक्टर और उच्च संवर्धित यूरेनियम की आपूर्ति की।
फ्रांस का योगदान:
1974 में, ईरान ने फ्रांस के यूरेनियम संवर्धन परियोजना में निवेश किया और संवर्धित यूरेनियम का एक हिस्सा हासिल किया।
जर्मनी का योगदान:
जर्मन कंपनी क्राफ्टवर्क ने बसहेहर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण में मदद की, जो फारस की खाड़ी के किनारे स्थित है।
ईरान पर अंतरराष्ट्रीय चिंताएं:
ईरान के गुप्त परमाणु शोध और उसकी क्षमताओं ने अमेरिका और इज़राइल जैसे देशों को चिंतित कर दिया है। अमेरिका ने ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं ताकि परमाणु हथियारों का विकास रोका जा सके।
PC – INDIA.COM
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